स्मृति शेष रामदास बाबूजी

by raigarhmanoj@gmail.com

“मैं मृत्यु सिखाता हूं” नामक पुस्तक में ओशो कहते हैं कि जीवन को कलात्मक ढंग से जीना तो विश्व के मानवों की नैसर्गिक प्रक्रिया है, लेकिन जो कलात्मक ढंग से मृत्यु की भी तैयारी करता है। वह जन्म और मृत्यु की प्रक्रिया से ऊपर हो जाता है, अर्थात् उसका आत्म साक्षात्कार हो जाता है या उसे कुछ इस तरह से भी कह सकते हैं कि वे ईश्वरत्व को प्राप्त कर लेते हैं। वैसे यह पंक्ति रामदास जी की एक लोकोक्ति के संदर्भ में याद आ गई। वे जब भी किसी सभा को संबोधित करते थे तब अपनी इस प्रिय लोकोक्ति को बोलते थे कि जिसकी गारंटी नहीं है वह है जिन्दगी और जिसकी गारंटी है उसका है नाम है मृत्यु। इसलिए जब तक जियो तब तक सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय जियो नहीं तो जिसकी गारंटी है, वह तो आएगी ही। इसमें स्व. रामदास अग्रवाल का संक्षिप्त जीवन परिचय है। जो कि यह बताता है कि व्यक्ति धन के कारण समाज में याद नहीं रखा जा सकता, वरन वह समाज के लिए कुछ कार्य करके जाता है, तो उसे ही समाज अपने स्मृति में याद रखता है।

समाज सेवा के क्षेत्र में रायगढ़ (छत्तीसगढ़) के स्व. रामदास अग्रवाल की अपनी अलग ही पहचान रही है। रायगढ़ (छत्तीसगढ़) का पूर्वी अंचल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरताओं के लिए पहचाना जाता है। स्व. श्री अग्रवाल एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिन्होंने रायगढ़ को गति के पथ पर बढ़ते देखा था। साथ ही वे एक ऐसे नायाब व्यक्तित्व के धनी थे। जिन्होंने समय की धारा को पहचान कर ऐसे कार्य किए कि जिसने पूरे समाज में एक मिसाल कायम की। स्व. अग्रवाल एक ऐसे मनीषी थे, जिसने संस्कारों और समाज सेवा की नई धारा प्रवाहित की, यही कारण रहा कि पूरे समाज ने उन्हें आदर दिया। अग्रवाल समाज के अग्रणी व्यक्तित्व और अग्रवाल समाज में नई सामाजिक चेतना का संचार करने वाले स्व. रामदास अग्रवाल की अपने समाज में भी विशिष्ट पहचान रही। सहजता, मृदुभाषिता एवं अत्यंत व्यवहार कुशलता उनके व्यक्तित्व के सुंदरतम पहलू रहे। उनका अग्र समाज में प्रभाव का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वे अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन (संगठन) के प्रांतीय अध्यक्ष एवं संगठन के राष्ट्रीय मंत्री के साथ-साथ समाज के अनेक संगठनों में पदाधिकारी रहे।

स्व. रामदास अग्रवाल का जन्म 4 दिसंबर 1944 को खरसिया, छत्तीसगढ़ में हुआ था। पिता स्व. श्री शीशराम एक धर्मपरायण एवं समाजसेवी थे। स्व. अग्रवाल बचपन से ही समाज सेवा के कार्यों में शामिल होते थे। सदैव अपने पिता के वचनों का आदर करते हुए, उनके बताए हुए मार्ग पर स्वर्गारोहण के दिन पर्यन्त चलते रहे। इनकी प्रारंभिक एवं हायर सेकेंड्री शिक्षा छत्तीसगढ़ के पूर्वी अंचल में स्थित एक छोटे से नगर खरसिया में ही हुई थी। शिक्षा के उपरान्त व्यवसाय करते हुए राजनीति की ओर झुकाव बढ़ा और अनेक बड़े राष्ट्रीय नेताओं से संबंध बनते चले गये। वे 18 मई 1964 को रेगाली (उड़ीसा) की द्रौपदी देवी के साथ दाम्पत्य सूत्र में बंधे। उनके परिवारिक एवं सामाजिक सफलता में द्रौपदी देवी का अमूल्य योगदान रहा है। उनका व्यावसायिक कारणों से खरसिया के समीप के कस्बे सारंगढ़ जाना हुआ। सारंगढ़ के राजा नरेशचंद्र से इनकी घनिष्ठता कुछ ही दिनों में हो गयी। उसके पश्चात सामाजिक एवं राजनीतिक गतिविधियों में उनकी रुचि भी बढ़ती गई। सन् 1982 में पारिवारिक एवं व्यावसायिक कारणों से सारंगढ़ से पत्थलगांव जाने के पश्चात् सामाजिक गतिविधियों में स्व. अग्रवाल की रूचि और बढ़ी, जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें पत्थलगाव के अग्रसेन भवन निर्माण समिति का अध्यक्ष सर्व सम्मति से बनाया गया।

वहां उन्होंने अग्रसेन भवन निर्माण में उल्लेखनीय योगदान दिया। उसके पश्चात् उनका सामाजिक कार्यों का सफर नामा जारी रहा। स्व. अग्रवाल अपने परिवार को एक बाग की तरह सजाया है। उसे उन्होंने संस्कारों और अच्छे कार्यों की सीख दी है। स्व. अग्रवाल एक सजग, जिम्मेदार नागरिक और एक आदर्श परिवार के मुखिया के साथ-साथ अनेक सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं में संरक्षक व पदाधिकारी भी थे। राष्ट्रीय मंत्री – अखिल भारतीय अग्रवाल संगठन नई दिल्ली, प्रांतीय अध्यक्ष – छत्तीसगढ़ प्रांतीय अग्रवाल सम्मेलन (संगठन) रायपुर छ.ग., अध्यक्ष – श्री अग्रसेन चेरिटेबल ट्रस्ट, ट्रस्टी – महाराजा अग्रसेन अस्पताल सिलीगुड़ी पश्चिम बंगाल, मुख्य संरक्षक – राष्ट्रीय समाचार-पत्र अग्र खोज टुडे नई दिल्ली, मुख्य अतिथि – तीन दिवसीय ग्लोबल ट्रेड फेयर 14-15-16 अगस्त 2015 नई दिल्ली, वरिष्ठ उपाध्यक्ष – आल इंडिया न्यूज पेपर एसोशिएशन नई दिल्ली, आजीवन ट्रस्टी – श्री कृष्ण जन्माष्टमी आश्रम वृंदावन, संरक्षक – भारतीय स्वाभिमान (न्यास) हरिद्वार, अध्यक्षता – स्वामी रामदेव रायगढ़ यात्रा, अध्यक्ष – अग्रसेन भवन निर्माण समिति पत्थलगांव, मुख्य अतिथि – अग्रसेन जयंती समारोह सारंगढ़, कुनकुरी, बसना, पिथौरा, राउरकेला, कटघोरा, ट्रस्टी – कुरुक्षेत्र में निर्माणाधीन 18 मंजिल गीता भवन, संरक्षक – रामदास द्रौपदी फाउंडेशन रायगढ़, मुख्य अतिथि – अग्रसेन जयंती समारोह पत्थलगांव (लगभग 35 वर्ष पूर्व), विशिष्ट अतिथि – आल इंडिया अग्रवाल सम्मेलन बैंग्लोर, विशिष्ट अतिथि – वृंदावन तीर्थ यात्रा 2017, मुख्य अतिथि – अग्रसेन जयंती समारोह नागपुर 2018 आदि समाज ने उनके द्वारा किए गए कार्यों आधार पर उन्हें जिम्मेदारियां सौंपी थी।

स्व. रामदास अग्रवाल तीन पुत्रों एवं एक पुत्री के पिता हैं। तीनों पुत्र सुनील रामदास, अनिल रामदास एवं सुशील रामदास भी सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं, जिससे अनेक सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों की श्रृंखला उनके नाम दर्ज हैं। पुत्री नीलम एवं दामाद अनंत अग्रवाल मुंबई में निवासरत हैं, वे भी सेवा भावी यक्तित्व के व्यक्ति हैं। स्व. अग्रवाल का पूरा परिवार इनके पदचिन्हों का अनुसरण करते हुए समाज सेवा के क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है। इनकी संतानों ने मिलकर समाज सेवा के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए अपने माता – पिता के समक्ष उनके ही नाम से रामदास- द्रौपदी फाउंडेशन की स्थापना की है। इस संस्था ने रायगढ़ अंचल में अपने पर्यावरणीय विकास कार्यों के लिए उल्लेखनीय ख्याति अर्जित की है।